-- आंदोलनकारियों ने ट्रैक्टरों को काम करने से रोका
-- 25 अप्रैल से अनिल प्रकाश गांव में ही करेंगे कैंप
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गायघाट (मुजफ्फरपुर) : 24 अप्रैल को बेनीबाद, बंदरा स्थित खादी भंडार में बागमती इलाके के हज़ारों पीड़ितों की मौजूदगी में बांध निर्माण के विरोध में हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की गयी. सैकड़ों लोगों ने हस्ताक्षर कर जेल जाने, लाठी खाने का संकल्प लिया. जानकारी हो कि बिहार शोध संवाद के नेतृत्व में एक करोड़ लोगों का हस्ताक्षर करा कर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को सौंपने की योजना है. इस मौके पर लोगों ने सत्याग्रही फॉर्म भरे तथा स्थानीय स्तर पर एक टीम का गठन किया गया, जिसके संयोजक जीतेन्द्र यादव चुने गए. हस्ताक्षर अभियान को गति देने में पूर्व विधायक महेश्वर प्रसाद यादव जी-जान से जुटे हैं. इस मौके पर अनिल प्रकाश, रंजीव, चंद्रकांत मिश्र, आनंद पटेल आदि मौजूद थे.
कार्बन क्रेडिट पर राष्ट्रीय सेमिनार २८ अप्रैल को मुजफ्फरपुर के भगवानपुर स्थित अनुराधा हॉल में होना है. किसान संघर्ष मोर्चा के बैनर तले आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, मध्य प्रदेश समेत सात राज्यों से कार्बन क्रेडिट के जानकार शिरकत कर रहे हैं. किसान संघर्ष मोर्चा के संयोजक वीरेंदर राय कार्यक्रम की तैयारी में अपनी पूरी टीम के साथ जुटे हैं. इसी सिलसिले में वीरेंदर राय का कार्बन क्रेडिट के मुद्दे पर उनके सारगर्भित विचार और आन्दोलन से सम्बंधित जानकारियां आदि विभिन्न अखबारों में प्रकाशित हुए है. देखें अखबारों का कतरन (विस्तार से पढ़ने के लिए कतरनों पर क्लिक करें)- 
नेपाल से निकलने वाली
बागमती नदी को कई दशकों से बांधा जा रहा है। यह वह बागमती है जिसकी बाढ़ का इंतजार
होता रहा है बिहार में वह भी बहुत बेसब्री से। जिस साल समय पर बाढ़ न आए उस साल
पूजा पाठ किया जाता एक नहीं कई जिलों में। मुजफ्फरपुर से लेकर दरभंगा,सीतामढ़ी तक। वहा इस बागमती को लेकर भोजपुरी में कहावत है ,बाढे जियली -सुखाड़े मरली। इसका
अर्थ है बढ़ से जीवन मिलेगा तो सूखे से मौत। नदी और बाढ़ से गाँव वालों का यह
रिश्ता विकास की नई अवधारणा से मेल नहीं खा सकता पर वास्तविकता यही है। बागमती
नेपाल से बरसात में अपने साथ बहुत उपजाऊँ मिटटी लाती रही है जो बिहार के कई जिलों
के किसानो की खुशहाली और संपन्नता की वजह भी रही है। बाढ़ और नई मिट्टी से गाँव में
तालाब के किनारे जगह ऊँची होती थी और तालाब भी भर जाता था। इसमे जो बिहार की छोटी
छोटी सहायक नदिया है वे बागमती से मिलकर उसे और समृद्ध बनाती रही है। पर इस बागमती
को टुकड़ो टुकड़ों में जगह जगह बाँधा जा रहा है । यह काम काफी पहले से हो रहा है और
जहाँ हुआ वहा के गाँव डूबे और कई समस्या पैदा हुई। नदी के दोनों तटों को पक्का कर
तटबंध बना देने से एक तो छोटी नदियों का उससे संपर्क ख़त्म हो गया दूसरे लगातार गाद
जमा होने से पानी का दबाव भी बढ़ गया और कई जगह तटबंध टूटने की आशंका भी है। अब यह
काम बिहार के मुजाफ्फरपुर जिले में शुरू हुआ तो वहा इसके विरोध में एक आंदोलन खड़ा
हो गया है। इस आंदोलन की शुरुआत बीते पंद्रह मार्च को रामवृक्ष बेनीपुरी के गाँव
से लगे मुजफ्फरपुर के कटरा प्रखंड के गंगिया गाँव से हुई जिसमे महिलाओं की बड़ी
भागेदारी ने लोगों का उत्साह बढ़ा दिया।