मंगलवार, 27 मार्च 2012
मंगलवार, 20 मार्च 2012
आन्दोलन कमजोर करने की साजिश
कटरा, मुजफ्फरपुर (बिहार) : बागमती बांध निर्माण के खिलाफ चल रहे आन्दोलन को कमजोर करने की साजिश चल रही है. आन्दोलनकारियों में फूट डालने, संघर्ष को कमजोर करने, आन्दोलन के समर्थक ग्रामीणों को झूठे मुकदमों में फंसाने का सिलसिला शुरू हो गया है. जानकारी हो कि कटरा थाना क्षेत्र के खंगुरा गाँव स्थित बागमती बांध परियोजना के कैम्प कार्यालय पर १८ मार्च को रात उपद्रवियों के हमले में ग्रामीण शिबू साह की मौत हो गयी थी. पुलिस ने प्रथम दृष्टया घटना का मुख्य कारण ठेकेदारी को लेकर वर्चस्व की लडाई मान रही है. जबकि बांध समर्थकों, ठेकेदारों, इस परियोजना से जुड़े नेताओं ने मृतक के परिजन को दबाव व झांसे में लाकर आन्दोलन से जुड़े स्थानीय गंगिया निवासी चंद्रकांत मिश्र व उनके पुत्र को भी नामजद अभियुक्त बना डाला है.
जाँच टीम गठित :
घटना के तुरंत बाद १९ मार्च को बिहार शोध संवाद की पांच सदस्यीय टीम घटनास्थल का दौरा कर मामले की जाँच की. टीम ने सभी पक्षों से बातचीत कर तथ्य जुटाया. मृतक के परिजन से भी जानकारी ली. जाँच टीम में शाहिद कमल, डॉ. श्याम कल्याण, डॉ. हेम नारायण विश्वकर्मा, आनंद पटेल, सत्येन्द्र कुमार शर्मा शामिल थे.
जाँच रिपोर्ट जारी :२० मार्च को मुजफ्फरपुर में बिहार शोध संवाद के अनिल प्रकाश ने जाँच रिपोर्ट जारी कर घटना की उच्चस्तरीय जाँच की मांग की, ताकि निर्दोष न फंस सके. इस मौके पर जांच टीम के सभी सदस्य मौजूद थे. जांच रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना बांध निर्माण में लगे ठेकेदारों के बीच वर्चस्व का नतीजा है. अनिल प्रकाश, डॉ. हरेन्द्र कुमार, महेश्वर यादव, बिरेन्द्र राय व गंगा प्रसाद ने डीएम, एसपी, आईजी व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों से अपील की है कि वे खुद से इस घटना की जाँच करे.
शुक्रवार, 16 मार्च 2012
बागमती बांध निर्माण के विरोध में हुआ शंखनाद
संबोधित करते नदी विशेषज्ञ डॉ. डीके मिश्र. साथ में अनिल प्रकाश. |
मौका था बिहार शोध संवाद की प्रेरणा से तटबंधरहित, विस्थापंमुक्त बागमती बचाओ अभियान के सम्मलेन का. बिहार शोध संवाद के संस्थापक अनिल प्रकाश और अभियान के संयोजक महेश्वर प्रसाद यादव ने आन्दोलन को अंजाम तक पहुँचाने का बीड़ा उठाया. सम्मेलन को नदी विशेषज्ञ डॉ. दिनेश कुमार मिश्र, प्रयावरणविद अनिल प्रकाश, रंजीव, शशि शेखर, वीरेंदर राय, चन्द्र कान्त मिश्र, गंगा प्रसाद, लछनदेव प्रसाद सिंह, डॉ. हेम नारायण विश्वकर्मा, भारती, शिवनाथ पासवान, उदय शंकर सिंह, रामबृक्ष सहनी आदि ने संबोधित किया. मौके पर अप्पन समाचार की रिंकू कुमारी, खुशबू कुमारी, अमृतांज इन्दीवर समेत हजारों लोग उपस्थित थे.
अनिल प्रकाश, संस्थापक, बिहार शोध संवाद कहते हैं :
बागमती पर बांध गैर जरूरी व अवैज्ञानिक है. हमें नदी के साथ रहने की आदत है. बांध की कोइ जरूरत नहीं है. हमारी लडाई अब मुआवजे की नहीं, बल्कि बागमती बांध को रोकने की होगी. गाँव-गाँव में बैठक कर सत्याग्रहियों को भर्ती किया जायेगा. सेन्ट्रल कमिटी का गठन कर उसके निर्णय के अनुसार आगे की रणनीति तय की जाएगी.
डॉ. दिनेश कुमार मिश्र, नदी व बाढ़ विशेषज्ञ कहते हैं :
तटबंध बांध कर नदियों को नियंत्रित करने के बदले सरकार इसके पानी को निर्बाध रूप से निकासी की व्यवस्था करे. तटबंध पानी की निकासी को प्रभावित करता है. टूटने पर जान-माल की व्यापक क्षति होती है. सीतामढ़ी जिले में बागमती पर सबसे पहला तटबंध बनने से मसहा आलम गाँव प्रभावित हुआ था. उस गाँव के ४०० परिवारों को अब तक पुनर्वास का लाभ नहीं मिला है और रुन्नीसैदपुर से शिवनगर तक के १६०० परिवार पुनर्वास के लाभ के लिए भटक रहे हैं. दोनों तटबंधों के बीच गाद भरने की भी एक बड़ी समस्या है. रक्सिया में तटबंध के बीच एक १६ फीट ऊंचा टीला था. पिछले वर्ष मैंने देखा था, यह बालू में दबकर मात्र तीन फीट बचा है. बागमती नदी बार-बार अपनी धारा बदलती है.
रंजीव, नदी के जानकार कहते हैं : बांध विनाशकारी है. नदियों को खुला छोड़ देना चाहिए. नदियों की पेटी में जमे गाद को निकालने की व्यवस्था हो.अनिल प्रकाश, संस्थापक, बिहार शोध संवाद कहते हैं :
बागमती पर बांध गैर जरूरी व अवैज्ञानिक है. हमें नदी के साथ रहने की आदत है. बांध की कोइ जरूरत नहीं है. हमारी लडाई अब मुआवजे की नहीं, बल्कि बागमती बांध को रोकने की होगी. गाँव-गाँव में बैठक कर सत्याग्रहियों को भर्ती किया जायेगा. सेन्ट्रल कमिटी का गठन कर उसके निर्णय के अनुसार आगे की रणनीति तय की जाएगी.
डॉ. दिनेश कुमार मिश्र, नदी व बाढ़ विशेषज्ञ कहते हैं :
तटबंध बांध कर नदियों को नियंत्रित करने के बदले सरकार इसके पानी को निर्बाध रूप से निकासी की व्यवस्था करे. तटबंध पानी की निकासी को प्रभावित करता है. टूटने पर जान-माल की व्यापक क्षति होती है. सीतामढ़ी जिले में बागमती पर सबसे पहला तटबंध बनने से मसहा आलम गाँव प्रभावित हुआ था. उस गाँव के ४०० परिवारों को अब तक पुनर्वास का लाभ नहीं मिला है और रुन्नीसैदपुर से शिवनगर तक के १६०० परिवार पुनर्वास के लाभ के लिए भटक रहे हैं. दोनों तटबंधों के बीच गाद भरने की भी एक बड़ी समस्या है. रक्सिया में तटबंध के बीच एक १६ फीट ऊंचा टीला था. पिछले वर्ष मैंने देखा था, यह बालू में दबकर मात्र तीन फीट बचा है. बागमती नदी बार-बार अपनी धारा बदलती है.
जनता बोली :
सूरत लाल यादव, भगवतपुर, गायघाट कहते हैं : जमीन, घर-द्वार सब कुछ चला जायेगा. बाढ़ से नुकसान से ज्यादा लाभ होता है. दो-चार-दस दिन के कष्ट के बाद तो सब कुछ अच्छा ही होता है. जमीन उपजाऊ हो जाती है. पैदावार अधिक हो जाता है.
रौदी पंडित, बंसघत्ता कहते हैं : बांध बनने से बांध के बाहर की जमीन का दर दो लाख प्रति कट्ठा हो गया है, जबकि भीतर की जमीन १५ हजार रूपये प्रति कट्ठा हो गया है.
रंजन कुमार सिंह, गंगिया, कटरा कहते हैं : अभी हमलोग जमींदार हैं. कल कंगाल हो जायेंगे. बांध के भीतर मेरा १० एकड़ जमीन आ जायेगा. बर्बाद हो जायेंगे.
सोमवार, 12 मार्च 2012
बागमती तटबंध के निर्माण को रोकेगी जनता
-- बिहार शोध संवाद की टीम ने किया बागमती क्षेत्र का दौरा
बागमती क्षेत्र के दौरे के दौरान बैठक करते टीम के सदस्य |
मुजफ्फरपुर/औराई : बिहार शोध संवाद के संस्थापक व लेखक अनिल प्रकाश के नेतृत्व में एक टीम ने रविवार को बागमती क्षेत्र का दौरा किया. इस टीम में तटबंध रहित विस्थापन मुक्त बागमती बचाओ के संयोजक पूर्व विधायक महेश्वर यादव, किसान संघर्ष मोर्चा के संयोजक वीरेंदर राय, डॉ. हेमनारायण विश्वकर्मा, आनंद पटेल, हुकुमदेव प्रसाद यादव, चंद्रकांत मिश्र शामिल थे. दल ने बागमती नदी के तटबंध के अन्दर एवं बाहर के गाँव बभनगामा, हरना, राघोपुर, औराई, बकुची और गंगीया समेत कई गांवों के जनता से मिल कर उनकी व्यथा सुनी. श्री प्रकाश ने कहा कि १५ मार्च को गंगीया स्थित रामदयालू उच्च विद्यालय के मैदान में आयोजित बागमती बचाओ सम्मलेन में लगभग ५ हजार ग्रामीणों के भाग लेने की सम्भावना है. इस सम्मलेन में अर्थशास्त्री प्रो. इश्वरी प्रसाद, जनपक्षी इंजिनियर एवं नदी विशेषज्ञ डी. के. मिश्र, नदी विशेषज्ञ रंजीव, वरिष्ठ पत्रकार कुलभूषण, निराला तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. हरेन्द्र कुमार शामिल हो रहे है. विशेषज्ञों एवं समाजकर्मियों को भी आमंत्रित किया गया है. सम्मलेन में विनाशकारी तटबंधों के निर्माण को रोकने तथा पहले से बने तटबंधों में स्लूइस गेट लगाने, पुर्नवास के लिए रणनीति तय की जाएगी.
बुधवार, 7 मार्च 2012
बागमती तटबंध व तिरहुत नहर पर प्रेस वार्ता
मुजफ्फरपुर : बागमती तटबंध पर बांध और तिरहुत नहर पर सरकार की जनविरोधी और पर्यावरण विरोधी नीतियों का मुखालफत करने के लिए १५ मार्च को संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इसी सिलसिले में ३ मार्च को अघोरिया बाज़ार स्थित विश्वविभूति पुस्तकालय में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया. प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए बिहार शोध संवाद के संस्थापक अनिल प्रकाश ने कहा कि तिरहुत नहर और बागमती तटबंध पर बांध को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी जमीनी स्तर पर चल रही है. उधर, मुरौल, सकरा में लगातार तिरहुत नहर के निर्माण के विरोध में आन्दोलन चल रहा है.
गायघाट के पूर्व विधायक महेश्वर प्रसाद यादव ने कहा कि किसी भी हालत में बागमती तटबंध पर बांध नहीं बनने दिया जायेगा, क्योंकि इससे सैकड़ों परिवार विस्थापित हो जायेंगे.
प्रेस को आन्दोलन की रणनीति के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी. इस मौके पर डॉ. कुमार गणेश और किसान नेता वीरेंदर राय भी मौजूद थे.
कृषि नीति की मार झेल रहे किसान : अनिल
-- भागलपुर में भी कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर संवाद
भागलपुर : बिहार में कृषि व ग्रामीण अर्थव्यवस्था चौतरफा संकट से घिरती गा रही है. यहाँ बहुराष्ट्रीय कंपनियों को परीक्षण की खुली छुट मिली हुई है. इसकी मार किसानों को झेलनी पर रही है. गेहूं, मकई, मुंग और अब धान की फसल पर भी बड़े पैमाने पर दाने नहीं आ रहे है.
ये बातें पर्यावरणविद अनिल प्रकाश ने कहीं है. मौका था गाँधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र में आयोजित बिहार शोध संवाद का. २६ फरवरी १२ को आयोजित संवाद में श्री प्रकाश ने कहा कि बिहार में विकास की बहूत चर्चा हो रही है. लेकिन जिन तरह की आर्थिक नीतियों को चलाया जा रहा है, वह विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की नवउदारवादी नीतियाँ है.
डॉ. मुकेश कुमार ने कहा कि इस संवाद व शोध से सरकारी योजनायों की सच्चाई सामने आएगी.
इसमें भागलपुर, बांका जिले के सैकड़ों किसानों, विशेषज्ञों, पत्रकारों, किसानों ने भाग लिया. इस मौके पर किसान डेजी, नेता वीरेंदर राय, अशोक यादव, गोपाल सिंह संथाली, अवधेश सिंह, जयप्रकाश मंडल, शंकर रविदास, गौतम, मणिभूषण आदि मौजूद थे.
बिहपुर में भी संवाद
उधर, बिहपुर में भी बिहार शोध संवाद ने किसानों व मछुआरों के बीच एक संवाद का आयोजन किया. इसमें भी आसपास के सैकड़ों लोगों ने सरकार की चल रही योजनाओं की सच्चाई के बारे में बातें की. गौतम ने इस कार्यक्रम में काफी मेहनत की.
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