बुधवार, 25 अप्रैल 2012

बागमती की व्यथा कथा में जुटे दिग्गज



- बांध निर्माण के विरोध में आवाज हुई बुलंद 
- बागमती पर बांध खतरनाक : खान 
मुजफ्फरपुर : बागमती सहित देश भर की नदियों पर जो बांध परियोजनाएं चलायी जा रही हैं, उसके पीछे जनकल्याण की भावना कम, कमीशनखोरी की भावना अधिक है. नदियां तो पहाड़ों से निकले जल का रास्ता मात्र है. इसके बहाने से नहीं, बल्कि इन्हें बांधने से समस्याएं उत्पन्न होती हैं. ये बातें सेवानिवृत डीजीपी रामचंद्र खान ने बागमती की व्यथा कथा पर 22 अप्रैल को बिहार विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र  विभाग में आयोजित जनसंवाद को संबोधित करते हुए कही. इस जनसंवाद में जुटे सभी लोगों से एक स्वर से बागमती को बांधे जाने का मुखर विरोध किया. पर्यावरणविद व लेखक अनिल प्रकाश के नेतृत्व में बागमती बांध निर्माण के विरोध में चल रहे इस आन्दोलन को देश भर से लोगों, अभियंताओं, लेखकों, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्तायों आदि का पूरजोर समर्थन मिल रहा है. अब तो बागमती इलाके के प्रवासी बिहारियों का भी समर्थन मिलाने लगा है. इस कार्यक्रम में नदी विशेषज्ञ रंजीव कुमार, पूर्व विधायक महेश्वर प्रसाद यादव, डॉ हेमनारायण विश्वकर्मा, मधुबनी के कामेश्वर कामत, नदियों कर काम करने वाले विजय कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता शाहीना प्रवीण, पूर्व सिंडिकेट सदस्य भूपनारायण सिंह, डॉ. कुमार गणेश, डॉ. हरेन्द्र कुमार, डॉ. एस मुर्तुजा, किसान नेता वीरेंदर राय, नन्द कुमार नंदन, अशोक भारत समेत सैकड़ों की संख्या में बुद्धिजीवी मौजूद थे. सञ्चालन पत्रकार एम अखलाक ने किया. प्रथम सत्र की अध्यक्षता डॉ. हरेन्द्र कुमार और दूसरे सत्र की अध्यक्षता वीरेंदर राय ने की. धन्यवाद ज्ञापन आनंद पटेल ने किया.



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