बुधवार, 7 मार्च 2012

कृषि नीति की मार झेल रहे किसान : अनिल

 -- भागलपुर में भी कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर संवाद
भागलपुर : बिहार में कृषि व ग्रामीण अर्थव्यवस्था  चौतरफा संकट से घिरती गा रही है. यहाँ बहुराष्ट्रीय कंपनियों को परीक्षण की खुली छुट मिली हुई है. इसकी मार किसानों को झेलनी पर रही है. गेहूं, मकई, मुंग और अब धान की फसल पर भी बड़े पैमाने पर दाने नहीं आ रहे है.
ये बातें पर्यावरणविद अनिल प्रकाश ने कहीं है. मौका था गाँधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र में आयोजित बिहार शोध संवाद का. २६ फरवरी १२ को आयोजित संवाद में श्री प्रकाश ने कहा कि बिहार में विकास की बहूत चर्चा हो रही है. लेकिन जिन तरह की आर्थिक नीतियों को चलाया जा रहा है, वह विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की नवउदारवादी नीतियाँ है.
डॉ. मुकेश कुमार ने कहा कि इस संवाद व शोध से सरकारी योजनायों की सच्चाई सामने आएगी.
 इसमें भागलपुर, बांका जिले के सैकड़ों किसानों, विशेषज्ञों, पत्रकारों, किसानों ने भाग लिया. इस मौके पर किसान डेजी, नेता वीरेंदर राय, अशोक यादव, गोपाल सिंह संथाली, अवधेश सिंह, जयप्रकाश मंडल, शंकर रविदास, गौतम, मणिभूषण आदि मौजूद थे.
 बिहपुर में भी संवाद
उधर, बिहपुर में भी बिहार शोध संवाद ने किसानों व मछुआरों के बीच एक संवाद का आयोजन किया. इसमें भी आसपास के सैकड़ों लोगों ने सरकार की चल रही योजनाओं की सच्चाई के बारे में बातें की. गौतम ने इस कार्यक्रम में काफी मेहनत की.


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें