मुजफ्फरपुर : बागमती तटबंध की योजना विनाशकारी है. इस तटबंध के बनने से दोनों तटबंध के भीतर के लोग घरविहीन, भूमिविहीन और बेरोजगार हो जायेंगे. क्योंकि तटबंध के भीतर की जमीन में बालू भर जाता है. गुरहन का जंगल बन जाता है, जिसमें जंगली जानवर, नीलगाय व वनैया सूअर का निवास हो जाता है. जोत की जमीन भी बेकार हो जाती है. मुजफ्फरपुर जिले के कतौंझा से लेकर मोहनपुर तक तथा बेनीपुर से लेकर चैनपुर तक हजारों परिवार विस्थापित होकर बांध पर शरण लिए हुए हैं. विस्थापित परिवारों को बसाने एवं रोजगार देने के लिए बिहार सरकार ने कोइ ठोस योजना नहीं बनाई है. गरीब से लेकर किसान तक सभी कंगाल हैं. दूसरी तरफ, बागमती पर तटबंध बन जाने के बाद भी औराई प्रखंड में बांये तरफ की सारी फसल मानुषमारा एवं लखनदेई नदी की बाढ़ से बर्बाद हो रही है तथा तटबंध के दाहिने तरफ अमनौर से शिवदासपुर तक हजारों एकड़ में जलजमाव से किसान तबाह व बर्बाद हो रहे हैं. इस इलाके के पूर्व विधायक महेश्वर यादव कहते हैं कि बागमती तटबंध की योजना पूर्णतः अवैज्ञानिक है. कटरा और बकुची से आगे कनौजर घाट तक तटबंध निर्माण से सैंकड़ों गाँव, हजारों परिवार एवं लाखों आबादी भूमिहीन, बेघर व बेरोजगार हो जाएगी.
इसी ज्वलंत मुद्दे पर बिहार शोध संवाद की तरफ से एक संवाद १५ मार्च को गंगिया स्थित रामदयालू उच्च विद्यालय में एक संवाद का आयोजन होने जा रहा है.
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